EKADASHI VRAT KATHA IN HINDI 2023

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कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी को संस्कृत में 'एकादशी' कहा जाता है। एकादशी का व्रत करने से मान्यता है कि यह हमें दुःखों और पापों से मुक्ति दिलाता है और स्वर्ग लाभ के लिए द्वार खोलता है। एकादशी का व्रत रखने से अगली एकादशी तक दिन और रात के समय अन्न, दृढ़, मांस, बांस, आदि जैसी सभी नाश्ता करने वाली चीजों का त्याग किया जाता है। यह एकादशी कथा इस प्रकार है:

बहुत समय पहले, द्वापर युग में, एक ब्राह्मण राजा नामक राजा था। राजा नामक बहुत धर्मात्मा और भक्तिमय थे। वे अपने प्रजा की कल्याण के लिए सबकुछ छोड़कर प्रभु की भक्ति करने में लगे रहते थे।

एक दिन, राजा नामक ने एक संत को अपने राजमहल में आमंत्रित किया और उन्हें अतिथि सत्कार से आदर्शित किया। संत ने राजा को एकादशी व्रत का महत्व बताया और उसे आपातकालीन स्थिति से बचाने के लिए इस व्रत को अवश्य रखने की सलाह दी।

राजा नामक ने संत की सलाह मानी और उन्होंने व्रत रखने का निश्चय किया। उन्होंने अपने पूरे राजमहल को व्रत के नियमों के अनुसार सजाया और विशेष पूजा-अर्चना की।

एकादशी के दिन, राजा नामक ने पूजा की और व्रत का पालन किया। उन्होंने पूरे दिन अन्न के त्याग किए और जप, ध्यान, और धार्मिक क्रियाओं में लगे रहे। उन्होंने अपने मन से सभी दुष्ट विचारों को दूर किया और पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ प्रभु की आराधना की।

एकादशी के दौरान, राजा नामक के देश में अकालीय सुखद बारिश हो गई और सभी संतापित प्राणियों को राहत मिली। इसके बाद से राजा नामक को एकादशी व्रत का महत्व पूरे राज्य में फैल गया और सभी लोगों ने इसे आदर्श तरीके से मानना शुरू कर दिया।

इस कथा से समझने योग्य उपदेश हैं कि एकादशी व्रत का पालन करने से हमें आध्यात्मिक और शारीरिक उन्नति मिलती है। यह हमें पापों से मुक्त करता है और हमारे जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाता है। इसलिए, हमें नियमित रूप से एकादशी व्रत का पालन करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में लगना चाहिए।

 

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